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मधुर है प्‍यार,लेकिन क्‍या करूँ मैं
जमाने का ज़हर मेरे लिए है
नदी के साथ मैं,पहुँचा
किसी सागर किनारे
गई ख़ुद डूब ,मुझ को
छोड़ लहरों के सहारे
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