भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
{{KKCatKavita}}
<poem>
1वृक्षों से संवाद कितना सरल !बरसात की बूँदों धुला हर गरल ! खिड़की से हाथ बाहर निकालकर नारियल की टहनी से कहा- " मेरे पास आओ, अपना हाथ बढ़ाओ तुमसे बात करना चाहती हूँ ।" टहनी ने हाथ बढ़ाया। संवाद स्थापित हुआ।
<poem>