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Kavita Kosh से
* [[बंद सारी खिड़कियाँ हैं, सो रही हैं / राकेश जोशी]]
* [[कैसे-कैसे लोग शहर में रहते हैं / राकेश जोशी]]
* [[अगर लिखना मना है तो क़लम का कारख़ाना क्यों / राकेश जोशी]]
* [[दीवारों से कान लगाकर बैठे हो / राकेश जोशी]]
* [[इन ग़रीबों के लिए घर कब बनेंगे / राकेश जोशी]]
* [[तेरी दावत में गर खाना नहीं था / राकेश जोशी]]
* [[आपने गिरवी रखे जो खेत वह बंजर तो दें / राकेश जोशी]]
* [[छेनी और हथौड़ा लेकर मूरत नई बनाऊं तो / राकेश जोशी]]
* [[ख़ंजर को ख़ंजर कहना है / राकेश जोशी]]
* [[सच कहो, क्या कभी ये इंतज़ाम बदलेगा / राकेश जोशी]]
* [[कल ज़मीं पर आज-से दंगल नहीं थे / राकेश जोशी]]
* [[या मकानों का सफ़र अच्छा रहा / राकेश जोशी]]
* [[ज़िंदगी भर आदमी को आजमाता कौन है / राकेश जोशी]]
* [[महल है, साधुओं का ये तो डेरा हो नहीं सकता / राकेश जोशी]]
* [[बंदर खेतों को बंजर कर जाते हैं / राकेश जोशी]]
* [[कोई पानी नहीं रखता, कोई दाना नहीं रखता / राकेश जोशी]]
* [[ख़ज़ाने की हमें दौलत भले सारी दिखा देगा / राकेश जोशी]]
* [[मंज़िलों का निशान बाक़ी है / राकेश जोशी]]
* [[फिर से हाथों में तुम्हारे हल तो हो / राकेश जोशी]]
* [[इन ग़रीबों ने कभी भी घर नहीं देखे / राकेश जोशी]]
* [[अगर अच्छा नहीं है / राकेश जोशी]]
* [[अजीब लोग हैं कैसा कमाल करते हैं / राकेश जोशी]]