भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

पात्रता / अजित कुमार

1 byte removed, 14:25, 11 अक्टूबर 2008
क्या मैं तुमसे कहूँ कि
इन हाथों को देखो ?
छि:। इनमें तो रक्त लगा है
अनेक भ्रूण-हत्याओं का ।
कितना ही धोऊँ उसे, वह जैसे का तैसा है ।
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
54,461
edits