भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

दो रोग, दो लोग / ममता व्यास

1,121 bytes added, 06:32, 4 अप्रैल 2021
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ममता व्यास |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKav...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=ममता व्यास
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
"मैं कुछ भी भूल नहीं पाता यार
मुझे याद रखने की बीमारी है"
(वह उदास था)

"मुझे तो कुछ भी याद ही नहीं रहता यार
मुझे भूल जाने का रोग है"
(वो भी उदास हो गयी)

अलग होने के बरसों बाद वो आज भी यह सोचकर खुश था कि
भूलने की बीमारी के चलते वो "सब कुछ" भूल कर फिर से एक बार
उसके पास चली आएगी।

अलग होने के बरसों बाद आज भी वो ये सोचकर खुश थी कि
"सब कुछ" याद रखने के रोग के चलते उसने
आज भी मुझे याद रखा होगा...
</poem>