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[[Category:ग़ज़ल]]
<poem>
 
कल्पना जिनकी यत्नहीन रही
उनके पैरों तले ज़मीन रही
आदमी हर जगह पुराना था
ज़िन्दगी हर जगह नवीन रही.
 
</poem>
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