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Kavita Kosh से
टूट -टूटकर मैं जुड़ा, झेल- झेल संताप।
रिश्ते सपने हो गए, अपने केवल आप।
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तेरी बाहें हैं मुझे, फूलों का वह हार।
बड़ा है तीनो काल से, गुँथा इन्हीं में प्यार।
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