भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=फूलचन्द गुप्ता |अनुवादक= |संग्रह= }...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=फूलचन्द गुप्ता
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>
घर के पास नदी होती थी ।
जिसमें माँ कपड़े धोती थी ।

बच्चे को कनियाँ में लेकर,
बोझा मूड़ें पर ढोती थी ।

चूल्हे-चक्की से फुरसत पा,
खेतों में जड़हन बोती थी ।

अम्मा की यादों की खूँटी,
दादा का कुर्ता धोती थी ।

बटुली में अदहन रखकर माँ,
घण्टों तक छिप-छिप रोती थी ।

सबसे पहले सोकर उठती,
सब सो जाएँ, तब सोती थी ।

मैं मीज़ान समझ ना पाया,
क्या पाकर माँ सब खोती थी ।
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,693
edits