भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

हार नहीं मानी / रमेश रंजक

843 bytes added, 04:40, 20 सितम्बर 2021
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रमेश रंजक |अनुवादक= |संग्रह=दरिया...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=रमेश रंजक
|अनुवादक=
|संग्रह=दरिया का पानी / रमेश रंजक
}}
{{KKCatNavgeet}}
<poem>
पस्त हुआ, ध्वस्त हुआ,
हार नहीं मानी ।

जूझा हूँ — मौसम से
कुरसी के बाज़ से
माँगे दो फूल नहीं
दम्भी ऋतुराज से

पतझड़ में जीया —
देवदारू स्वाभिमानी ।

कितना कुछ टूटा है,
छूटा है राह में
आएगा जो भी, वह
झाँकेगा थाह में

मुझ में ही पाएगा
दीन और दानी ।
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,693
edits