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{{KKRachna
|रचनाकार=अदिति वसुराय
|अनुवादक=लिपिका साहा
|संग्रह=
}}
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<poem>
दहशत से निकलो ।
स्नान करो ।
उठाकर फेंको फटी हुई ब्रा, टूटा काजल और
रफू की हुई दुपट्टे की इस गृहस्थी को ।
निकलकर आओ तुम, मोनोलाग लिखो ।
लेडी मैकबेथ को फ्रेण्ड रिक्वेस्ट भेजो
प्रकाश फैलाकर बैठो ।
लिखो...
'''मूल बांगला से अनुवाद : लिपिका साहा'''
</poem>
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|अनुवादक=लिपिका साहा
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दहशत से निकलो ।
स्नान करो ।
उठाकर फेंको फटी हुई ब्रा, टूटा काजल और
रफू की हुई दुपट्टे की इस गृहस्थी को ।
निकलकर आओ तुम, मोनोलाग लिखो ।
लेडी मैकबेथ को फ्रेण्ड रिक्वेस्ट भेजो
प्रकाश फैलाकर बैठो ।
लिखो...
'''मूल बांगला से अनुवाद : लिपिका साहा'''
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