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|रचनाकार=अदिति वसुराय
|अनुवादक=अनिल जनविजय
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<poem>
जन्मदिन की पूर्व संध्या पर
बहुत कुछ किया जा सकता है।
जैसे — प्राचीन पाप, एकल शिकार और एकतरफ़ा प्रेम ।

जन्मदिन पर, कहते हैं,
जन्मदिन का केक ठीक से जमा नहीं है,
जन्मदिन पर याद रखें,
खोए हुए कॉमिक्स, लिखावट, साइकिल
और अचानकलिए-दिए गए चुम्बन।

बर्थडे से पहले
मेरी माँ को भी याद आ जाता है ये सब-कुछ
उन मुग्ध, दूधिया झरनों का पानी,
कभी समाप्त नहीं होता,
कभी नहीं।

यह सब सुनकर और जानकर
कभी-कभी तो बहुत अकेलापन लगता है

और कई चीज़ें तो कभी भी सकती हैं
जिन्हें याद कर
धड़कन तेज़ हो जाती है,
माशाअल्लाह ! अब कहा जा सकता है —
तुम ! कमीने हो !
मेरे प्रेमी !

'''मूल बांगला से अनुवाद : अनिल जनविजय'''
</poem>
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