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|रचनाकार=एल्वी सिनेर्वो
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<poem>
वह एक मज़दूर औरत थी । वह अनेकों में थी एक,
अरसा पहले उसका नाम भुला दिया गया ।
सिर्फ़ आज मैं उसकी प्रशंसा कर रही हूँ, उसकी वीरता
मैं उसके चेहरे को ग्रेनाइट में तराशना चाहती हूँ ।

वह दूर से मुझे देखती है, पीछे खुली हुई है क़ब्र ।
जिसे फाँसी की सज़ा पाए लोगों ने मौत के पहले खोदा था
का बखान कर रही हूँ ।
तीस साल से ज़्यादा बीत चुके हैं, और आज भी वह मुझे उसी तरह देखती है
वह देखती है और इन्तज़ार करती है ।

उसके हाथ बन्धे थे, उसके कपड़े चीथड़े थे
और बालों की काली लपटें उसके सर के आसपास थीं ।
अपनी क़ब्र के नज़दीक, खुली हुई पीठ, कामरेडों के बीच वह थी जैसे
उनमें से एक, अलग न की जा सकने वाली, और फिर भी अकेली ।

वह दुखी नहीं थी । अपना सिर ऊँचा उठाए उसने घटनाओं को विरक्ति से देखा
मृत्यु से हुई नहीं भयभीत
उसने पीछे मुड़कर नहीं देखा, न ही अपने जीवन के लिए रोई ।
उसने बन्दूक की नलियों से दूर आने वाले युग को देखा ।

वह युग जिसे हम जी रहे हैं, जिससे मुझमें कवयित्री ने जन्म लिया है,
संघर्ष की अन्तहीनता के बारे में गाने के लिए
समय के शिखर पर चढ़ती हूँ और देखती हूँ । जानती हूँ वह
घटित होगा, जिसे वह, जिसे वह,नामहीन मज़दूर औरत मरते हुए
जानती थी ।

'''मूल फ़िनिश भाषा से अनुवाद : सईद शेख'''
</poem>
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