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रेशम की तेरी कान्तियुक्त साड़ी !
आधी रात में सितारों भरी जैसे
चमक रही है आकाशगंगा हमारी !
तेरी मुस्कान में झलक रही है
उजली धूप गुनगुनी
तेरे कण्ठ से फूटे कोयल की
मोहक कूक सी रागिनी
 
तेरे दिल की धड़कन में ज्यों
गूँजें महासागर की लहरें
सुनाई दे रही हैं मुझको
तेरे मन-गीत की सब बहरें
 
ओ सदानीरा, ओ नवयौवना
तू मेरी है, प्रिया कन्नम्मा !
आ, तुझे आलिंगन में लूँ
ओ सजनी, रसिया, कनम्मा !
'''मूल तमिल से अनुवाद (कृष्णा की सहायता से) : अनिल जनविजय'''
</poem>
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