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ये काली रात लम्बी है इसे तो काटना ही है
अभी से तुम न ये पूछो ‘सवेरा क्यों नहीं होता‘
 
सितारे अपने हिस्से के सभी डूबे हुए हैं क्यों
हमीं पर उसकी रहमत का इषारा क्यूँ नहीं होता
 
‘शलभ‘ को बदगुमानी है फ़क़त अपनी उड़ानों पर
तक्ब्बुरतकब्बुर<meaning>घमंड<meaning/>
जो ज़रा करता तो बिखरा क्यों नहीं होता
 
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