भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
<poem>
आना मेरे पास रात की ख़ामोशी में;
आना सपनों की खुशबायान ख़ुशबयान ख़ामोशी में;आना मुलायम मांसल गालों के साथ और आँखें इतनी चमकीली
गोया पानी पर पड़ती धूप;
लौट आओ आँसुओं में,ओ ! स्मृति, आशा, प्रेम अधूरे वर्षों का केलौट आओ आँसुओं में
ओह स्वप्न कितना मधुर, अति मधुरमधुमय,
भावभीनी
जिसकी जागृति होतीहै
जन्नत में,
जहाँ प्रेम में आकण्ठ आक डूबी रूहें मुन्तजिर मुन्तज़िर हों और मिलेंमिलने को;
जहाँ प्यासी लालायित आँखें
देखें धीमे दरवाज़े को
जो खुलें, और आगोश में भर लें, फिर कभी वापस जाने दें लौटाने के लिए
फिर आना मेरे सपनों में, कि मैं जी सकूँमेरी वही ज़िन्दगी दुबारा अगरचे सर्द हो मृत्यु में :लौट आओ मेरे सपनों में , कि मैं सौंप सकूँतुम्हेंधड़कन के लिए धड़कन, सांसों सांस के लिए सांस :आहिस्ता धीमे कहो, आहिस्ता धीमे झुको,
जितनी देर हो, मेरी जानाँ, कितनी देर !
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,612
edits