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{{KKRachna
|रचनाकार= वीरेन्द्र पाठक
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
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<poem>
सँधैभरि सम्झनामा राखिदिनू है
सपनामा सँधैसँधै आइदिनू है।
चैतको हुरीसरी आँधी चलिरह्यो
तर सम्झनाको बत्ती बलिरह्यो
माया किन लाग्यो कुन्नि बताइदिनू है
सपनामा सँधैसँधै आइदिनू है।
सजाएर तिमीलाई परेलीमा साँचूँ
भन तिमीलाई कहाँ लुकाएर राखूँ
एउटा पत्र गोधूलीमा पठाइदिनू है
सपनामा सँधैसँधै आइदिनू है।
</poem>
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सँधैभरि सम्झनामा राखिदिनू है
सपनामा सँधैसँधै आइदिनू है।
चैतको हुरीसरी आँधी चलिरह्यो
तर सम्झनाको बत्ती बलिरह्यो
माया किन लाग्यो कुन्नि बताइदिनू है
सपनामा सँधैसँधै आइदिनू है।
सजाएर तिमीलाई परेलीमा साँचूँ
भन तिमीलाई कहाँ लुकाएर राखूँ
एउटा पत्र गोधूलीमा पठाइदिनू है
सपनामा सँधैसँधै आइदिनू है।
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