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रेली खोला बगर / कुसुम गजमेर

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रेली खोला बगर, काफल पाक्यो लहर
माया आउन बस न, लाग्यो रहर

खोलाको किनार हाराहारी, माया सराबरी
बैँसमा कस्तो रोग लाग्यो, हावा सरर
रेली खोला बगर, काफल पाक्यो लहर
माया आउन बस न, लाग्यो रहर

मर्नु र बाँच्नु सराबरी के छ कडाकडी
मुटु छल्न माया लाग्यो, आँशु तरर
रेली खोला बगर, काफल पाक्यो लहर
माया आउन बस न, लाग्यो रहर

</poem>
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