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समा गया तुझमें सदा, नहीं पहुँचना पार।
153
तुझमें मिर्मल निर्मल नीर है, सागर- सा विस्तार।
मुझे छोड़ जाना नहीं, तुम प्रियवर इस बार।
-0-
13-01-2022-दोहे
154
तेरा दुख देता मुझे, जग की दारुण पीर।
मैं आकुल इस पार हूँ, तुम व्याकुल उस पार ।
160
जब- जब देखा है तुम्हें, मैंने आँखेँ आँखें मूँद।
तुम सागर हो प्यार के, मैं हूँ तेरी बूँद।
161अधरों से पीता रहूँ , अश्रु की हर धार।नफरत दुनिया किया करे, करूँ सदा मैं प्यार।162 आलिंगन में बाँध लूँ, तुझको मैं प्रिय मीत।पलकें तेरी चूमकर, भर दूँ उर में गीत।163 अधरों को मुस्कान दूँ, सभी उदासी छीन।तिरे नयन में हर खुशी, बनकर चंचल मीन।164जिधर नज़र जाती रही, नफरत बैठी द्वार।दुनिया पीड़ित हो रही, करलो केवल प्यार।-0-'''( 057-022-22)'''