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Kavita Kosh से
वहाँ एक ऊँची ढलवाँ चट्टान खड़ी है
जैसे क़ब्र पर कोई
उदास और ऊबड़-खाबड़ पत्थर खड़ा कर दिया गया हो ।हो।
मुझे डर लग रहा है