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|रचनाकार=संतोष अलेक्स
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
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<poem>
अचानक हुई बारिश से
मिट्टी की सोंधी गंध
दस्तक दे रही है नाक में
नारियल के टुकड़़े बिखरे पड़े हैं
लोगों की आवा जाही
न के बराबर है
सदियों पुरानी मंदिर की देवी
हमेशा की तरह प्रसन्न मुद्रा में थी
शाम हुई, रात भी
गहरी नींद में हैं गाँववासी
जागता है गाँव देवता रात भर
<poem>
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अचानक हुई बारिश से
मिट्टी की सोंधी गंध
दस्तक दे रही है नाक में
नारियल के टुकड़़े बिखरे पड़े हैं
लोगों की आवा जाही
न के बराबर है
सदियों पुरानी मंदिर की देवी
हमेशा की तरह प्रसन्न मुद्रा में थी
शाम हुई, रात भी
गहरी नींद में हैं गाँववासी
जागता है गाँव देवता रात भर
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