भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मरीने पित्रोस्यान |अनुवादक=उदयन...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=मरीने पित्रोस्यान
|अनुवादक=उदयन वाजपेयी
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
सुख
चीज़ों का हलकापन है
शरीर का हलकापन
चलन का हलकापन

जब हम सुखी होते हैं —
चीज़ें पीड़ा नहीं देतीं
शब्द पीड़ा नहीं देते
असुन्दरता पीड़ा नहीं देती
भद्दा व्यवहार पीड़ा नहीं देता
स्मृति पीड़ा नहीं देती
अतीत पीड़ा नहीं देता
भविष्य पीड़ा नहीं देता

क्योंकि जब हम सुखी होते हैं —
अतीत नहीं होता
और न भविष्य ही
सब ‘अभी’ में बदल जाते हैं

हर, बिल्कुल हर कुछ आकर
‘अभी’ को भरते हैं
और हर्ष में बदल जाते हैं
गहरे हर्ष में
बिना सीमाओं के हर्ष में
बिना ब्लेक होल्स के

सुख
सारे आयामों के परे का आकाश है
जहाँ मैं और तुम
एक-दूसरे से भिन्न नहीं हैं

हम एक - से हैं
सुख में
हम एक - से हैं

'''अँग्रेज़ी से अनुवाद : उदयन वाजपेयी'''
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,690
edits