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|रचनाकार=मोनिका गौड़
|संग्रह=हथेळी में चांद
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<poem>रात री
हथेळी पर मेल्यो
एक चांद
कीं तारा
कै
बाद में गिण’र धर लेसूं
अंतस रै खूंजै मांय
रीसाणो सूरज
होयो लाल-तातो
खोस्यो चांद
गुड़ाया तारा,
बस
दो इज रैयग्या
आंख रै खूंजै मांय
आंसू होय’र।</poem>
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