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देखा गया है कि '''प्रिंट माध्यम के पाठक और इंटरनैट के पाठक अलग-अलग होते हैं'''। जो लोग पुस्तक खरीदकर खरीद कर पढ़ने में रुचि रखते हैं -उन्हें इंटरनैट पर उपलब्ध मूल्यरहित सामग्री भी अच्छी नहीं लगती और वे पुस्तक खरीदकर ही पढ़ते हैं। साथ ही लोग पुस्तकें इस लिये भी खरीदते हैं क्योंकि पुस्तकों का घर और पुस्तकालय इत्यादि में संकलन किया जा सकता है और जब चाहे उसे पढ़ा जा सकता है। इसलिये कविता कोश, किसी भी रचनाकार या प्रकाशक को किसी भी तरह की आर्थिक हानि नहीं पहुँचाता। इसके विपरीत कविता कोश रचनाकार की रचनाओं को वहाँ तक भी पहुँचाता है जहाँ उनकी प्रिंट पुस्तक नहीं पँहुच पाती। इससे '''रचनाकार के पाठक-समूह में वृद्धि होती है'''। कविता कोश में कुछ पुस्तकों के प्रकाशकों के नाम और पते भी दिये जाते हैं देने की कोशिश की जाती है -'''इससे उन लोगों को प्रकाशक से सम्पर्क करने में सुविधा होती है जो पुस्तक को खरीदना चाहते हैं।'''