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{{KKRachna
|रचनाकार=अन्द्रेय वज़निसेंस्की
|अनुवादक=उदय प्रकाश
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
कवि का तिरस्कार हो नहीं सकता
उसे नहीं चाहिए ख्याति और पुरस्कार
किसी नक्षत्र को आकाश में कोई नहीं सजाता
उसके चारों ओर नहीं जड़ा होता कोई काला या सुनहरा फ्रेम
किसी नक्षत्र को ढेले और पत्थर से नहीं मारा जा सकता
न पुरस्कार या फिर उस जैसी किसी और चीज़ से
वह झेल लेगा किसी भी खच्चर की दुलत्ती
जो अफ़सोस मनाता है कि नहीं है वह उतना महान...
जो चीज़ असल और महत्वपूर्ण है
वह है संगीत और पागलपन
न मक़बूलियत, न गालियाँ बहरहाल
संसार की सारी ताक़तें हो जाती हैं बे-इज़्ज़त
जब एक दिन कवि उन्हें दिखा देता है
बाहर का रास्ता ।।
'''अँग्रेज़ी से अनुवाद : [[उदय प्रकाश]]'''
</poem>
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|रचनाकार=अन्द्रेय वज़निसेंस्की
|अनुवादक=उदय प्रकाश
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कवि का तिरस्कार हो नहीं सकता
उसे नहीं चाहिए ख्याति और पुरस्कार
किसी नक्षत्र को आकाश में कोई नहीं सजाता
उसके चारों ओर नहीं जड़ा होता कोई काला या सुनहरा फ्रेम
किसी नक्षत्र को ढेले और पत्थर से नहीं मारा जा सकता
न पुरस्कार या फिर उस जैसी किसी और चीज़ से
वह झेल लेगा किसी भी खच्चर की दुलत्ती
जो अफ़सोस मनाता है कि नहीं है वह उतना महान...
जो चीज़ असल और महत्वपूर्ण है
वह है संगीत और पागलपन
न मक़बूलियत, न गालियाँ बहरहाल
संसार की सारी ताक़तें हो जाती हैं बे-इज़्ज़त
जब एक दिन कवि उन्हें दिखा देता है
बाहर का रास्ता ।।
'''अँग्रेज़ी से अनुवाद : [[उदय प्रकाश]]'''
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