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लफ़्ज़ मेरा कारोबार हैं‌
लफ़्ज़ होते हैं‌ चिप्पियों की मानिंदमानिन्द
या फिर यूँ कहना बेहतर होगा
कि वे होते हैं मधुमक्खियों के झुंड झुण्ड की तरह
मैं मानती हूँ कि मुझे बुनियादी बातों ने तोड़ा है
जैसे कि लफ़्ज़ों को गिना जाए
जब तक कि मैं ऐसी कोई चीज़ न हासिल कर लूँ
जिसे पाने का मैंने इरादा किया हो…
पर, अस्ल में ऐसा कुछ हुआ नहीं।नहीं ।
तुम्हारा काम मेरे लफ़्ज़ों पर नज़र रखना है
उस निकल मशीन की,
जिसमें से नेवाडा में एक रात
तीन घंटियों घण्टियों की टनटन के साथ
जादुई जैकपॉट निकला था
वह उस करामाती स्क्रीन पर प्रकट हुआ था
और याद करने लगती हूँ
कि पैसे की कल्पना करते हुए
किस तरह मेरे हाथों ने महसूस किया था—था —मज़ेदार, अजीबोग़रीब और भरा-भरा सा।सा ।
'''मूल अँग्रेज़ी भाषा से अनुवाद : देवेश पथसरिया'''
 
'''लीजिए, अब यही कविता मूल अँग्रेज़ी में पढ़िए'''
Anne Sexton
Said The Poet To The Analyst
 
My business is words. Words are like labels,
or coins, or better, like swarming bees.
I confess I am only broken by the sources of things;
as if words were counted like dead bees in the attic,
unbuckled from their yellow eyes and their dry wings.
I must always forget how one word is able to pick
out another, to manner another, until I have got
something I might have said…
but did not.
Your business is watching my words. But I
admit nothing. I work with my best, for instance,
when I can write my praise for a nickel machine,
that one night in Nevada: telling how the magic jackpot
came clacking three bells out, over the lucky screen.
But if you should say this is something it is not,
then I grow weak, remembering how my hands felt funny
and ridiculous and crowded with all
the believing money.
</poem>
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