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Kavita Kosh से
या कि सफलता ! कौन कहेगा
क्या उस में है विधि का आशय !
क्या मेरे कर्मों का स्चयसंचय
मुझ को चिन्ता छूट गई है--
मैं बस जानूँ, मैं धनु हूँ, जिस