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|रचनाकार=शशिप्रकाश
|अनुवादक=
|संग्रह=कोहेकाफ़ पर संगीत-साधना / शशिप्रकाश
}}
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<poem>
धुएँ और लपटों से रची
एक सँवलाई हुई आग ।
जलना नहीं
सहनी है आँच
और फिर चलना है आगे
ताप और स्मृतियों के साथ ।
</poem>
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धुएँ और लपटों से रची
एक सँवलाई हुई आग ।
जलना नहीं
सहनी है आँच
और फिर चलना है आगे
ताप और स्मृतियों के साथ ।
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