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{{KKRachna
|रचनाकार=देवनीत
|अनुवादक=जगजीत सिद्धू
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
आदमी का
अपने आप से
पहला सवाल था —
मैं कौन हूँ ....?
करोड़ों बुद्ध बने,
करोड़ों सिद्ध हुए ...
लाखो टन काग़ज़,
बोलने लगा ....
जो नहीं बोला,
आज तक ...
उसको ही किसी ने,
सुना नहीं ...
—
'''मूल पंजाबी भाषा से अनुवाद : जगजीत सिद्धू'''
</poem>
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|अनुवादक=जगजीत सिद्धू
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आदमी का
अपने आप से
पहला सवाल था —
मैं कौन हूँ ....?
करोड़ों बुद्ध बने,
करोड़ों सिद्ध हुए ...
लाखो टन काग़ज़,
बोलने लगा ....
जो नहीं बोला,
आज तक ...
उसको ही किसी ने,
सुना नहीं ...
—
'''मूल पंजाबी भाषा से अनुवाद : जगजीत सिद्धू'''
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