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<poem>
आदमी का
अपने आप से
पहला सवाल था —

मैं कौन हूँ ....?

करोड़ों बुद्ध बने,
करोड़ों सिद्ध हुए ...

लाखो टन काग़ज़,
बोलने लगा ....

जो नहीं बोला,
आज तक ...

उसको ही किसी ने,
सुना नहीं ...

'''मूल पंजाबी भाषा से अनुवाद : जगजीत सिद्धू'''
</poem>
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