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मुझको आकर यादरोज तुमभरमाते रहना ।भरम टूटने परकुछ भी नहींबचता है जीवन मेंमुक्त हुए तोभला कहाँ तकउड़ेंगे नील गगन में।पंख थकेंया प्राण रुकेंपर तुम गाते रहना।सुख मिलने का भरम लिये हीभार दुखों का ढोनाहँसी मिलेगीयही सोचकरएक उमर तक रोना।गीली आँखेंपोंछ दर्द कोसहलाते रहना ।-0-'''[19-6-1995]'''
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