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Kavita Kosh से
जितने पल तक
निर्भय होकर
जितना विष तुम पी पाओगे।जाओगे।
जीना है यदि
कर लो कम विष से अपनी दूरी
विषधर फैले यहाँ-वहाँ
मन है जब तन में