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{{KKRachna
|रचनाकार=शील
|अनुवादक=
|संग्रह=लाल पंखों वाली चिड़िया / शील
}}
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<poem>
तपने लगा है सिर पर,
दुनिया के श्रम का सूरज ।
इस वक़्त को हंगामामय —
मौसम से गुज़रना होगा ।
आएगा शीत-युद्ध की —
धरती पर इंकलाब ।
हँसते हुए, गाते हुए —
आग पे चलना होगा ।
—
मार्च 1985
</poem>
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|संग्रह=लाल पंखों वाली चिड़िया / शील
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तपने लगा है सिर पर,
दुनिया के श्रम का सूरज ।
इस वक़्त को हंगामामय —
मौसम से गुज़रना होगा ।
आएगा शीत-युद्ध की —
धरती पर इंकलाब ।
हँसते हुए, गाते हुए —
आग पे चलना होगा ।
—
मार्च 1985
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