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|रचनाकार=प्रताप नारायण सिंह
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|संग्रह=नवगीत/ प्रताप नारायण सिंह
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नील गगन में चढ़ती जातीं
पंख तितलियों सी फहराती
अपने संग समस्त,
उड़ानें इसकी रहीं अनंत!
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