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Kavita Kosh से
विप्र सुदामा द्वार खडयो है, नाम हमारा बतादो ||
हम साथी बचपन के मित्रो, मीत हमारा माधो |
भवसागर से नव नाव व हमारी, कृष्णा पर लगादो ||
काम क्रोध अरु लोभ मोह को, हम से दूर भगादो |
अनपायनी भक्ति निश्छलता, ह्रदय मांहि जगादो ||