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Kavita Kosh से
यह बात किसी से मत कहना।
मैं तेरी आंखों आँखों में बंदीतू मेरी आंखों आँखों में प्रतिक्षणमैं चलता तेरी सांस–सांससाँस–साँस
तू मेरे मानस की धड़कन
मैं तेरे तन का रत्नहार
यह बात किसी से मत कहना!!
हम युगल पखेरू हंस हँस लेंगे
कुछ रो लेंगे कुछ गा लेंगे
हम बिना बात रूठेंगे भी
फिर हंस हँस कर तभी मना लेंगे
अंतर में उगते भावों के
यह बात किसी से मत कहना!!
क्या कहा! कि मैं तो कह दूंगीदूँगी!
कह देगी तो पछताएगी
पगली इस सारी दुनियां दुनिया में
बिन बात सताई जाएगी
पीकर प्रिये अपने नयनों की बरसात
यह बात किसी से मत कहना!!
हम युगों -युगों के दो साथी
अब अलग अलग होने आए
कहना होगा तुम हो पत्थर
पर मेरे लोचन भर आए
पगली इस जग के अतल–सिंधु मेमेंअलग -अलग हमको बहना!यह बात किसी से मत कहना!!
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