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[[Category:बाल-कविताएँ]]
छीनकर खिलौनो को बाँट दिये गम । बचपन से दूर बहुत दूर हुए हम।।हम !
अच्छी तरह से अभी पढ़ना न आया
कपड़ों को अपने बदलना न आया
लाद दिए बस्ते हैं भारी-भरकम
बचपन से दूर बहुत दूर हुए हम!
घर आके दिया हुआ काम निबटाना
देकर के थपकी न माँ मुझे सुलाती
दादी है अब नहीं कहानियाँ सुनाती
बिलख रही कैद बनी, जीवन सरगम।सरगमबचपन से दूर बहुत दूर हुए हम।।हम!
इतने कठिन विषय कि छूटे पसीना
रात-दिन किताबों को घोट-घोट पीना
उस पर भी नम्बर आते हैं बहुत कम।कमबचपन से दूर बहुत दूर हुए हम।।हम! -डॅा. जगदीश व्योम
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