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|रचनाकार=आन्द्रे वैल्ते
|अनुवादक=योजना रावत
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<poem>
उसी हर्षोन्माद में पागल तुम
नाच रहे हो
एक प्रेत छाया की तरह

विचारों व भंगिमाओं के प्रति
तटस्थ

मुक्ति की इच्छा को
बहकाते हुए
</poem>
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