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Kavita Kosh से
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घुट- घुट जीना छोड़ दे, खुल कर ले अब साँस।।
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रानी, बांदी बन गई, जीना हुआ मुहाल।
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जीवन स्वाहा तब हुआ, भारी थे जब पाँव। ।
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