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नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अनिरुद्ध सिन्हा |संग्रह= }} <Poem> मेरे जज़्बात मेरे...
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{{KKRachna
|रचनाकार=अनिरुद्ध सिन्हा
|संग्रह=
}}
<Poem>
मेरे जज़्बात मेरे नाम बिके
उनके ईमान सरेआम बिके
एक मंडि है सियासत ऎसी
जिसमें अल्लाह बिके राम बिके
पी के बहका न करो यूँ साहब
अब तो मयख़ाने के हर जाम बिके
उनकी बातों का भरोसा कैसा
जिनके मजमून सुबह-शाम बिके
कैसे इजहार करूँ उल्फ़त के
मेरे अरमान बिना दाम बिके
</poem>
{{KKRachna
|रचनाकार=अनिरुद्ध सिन्हा
|संग्रह=
}}
<Poem>
मेरे जज़्बात मेरे नाम बिके
उनके ईमान सरेआम बिके
एक मंडि है सियासत ऎसी
जिसमें अल्लाह बिके राम बिके
पी के बहका न करो यूँ साहब
अब तो मयख़ाने के हर जाम बिके
उनकी बातों का भरोसा कैसा
जिनके मजमून सुबह-शाम बिके
कैसे इजहार करूँ उल्फ़त के
मेरे अरमान बिना दाम बिके
</poem>