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|रचनाकार=लैंग्स्टन ह्यूज़
|अनुवादक=कात्यायनी
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<poem>
एक सपने को टालते रहने से
क्या होता है ?

क्या वह सूख जाता है
किशमिश - सा धूप में ?
या ज़ख़्म - सा पक जाता है
और फिर रिसा करता है ?
या बद‍बू करता है
सड़े हुए गोश्त - सा ?

या कि पगी हुई मिठाई की तरह
उसपर चीनी की पपड़ी जम जाती है ?
मुमकिन है वह सिर्फ़ लच जाता हो
भारी बोझे जैसा ।

कहीं वह बारूद - सा
फट तो नहीं पड़ता ?

'''अँग्रेज़ी से अनुवाद : कात्यायनी'''
</poem>
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