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अभी तो आग हुस्न की , नई-नई है, जानेमन !
अभी तो ये जलाएगी, जवाँ मई है, जानेमन !
बरस रही है आग-सी , पिघल रहा हूँ मोम-सा
वो पुर-जलाल है अगरचे निर्दयी है, जानेमन !
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