भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
मान लो कि हम बेहद बीमार हैं
हमें जर्राही (शल्य चिकित्सा) की ज़रूरत है
और ऐसा हो सकता है कि हम
उस सफ़ेद मेज़ से कभी उठ भी न पाएँ,
हालाँकि ऐसा नहीं हो सकता कि हम
समय से पहले यह दुनिया छोड़कर चले जाने को लेकर
ज़रा भी दुखी न हों,
फिर भी हम चुटकुले सुनकर हँसेंगे,
हम खिड़की से बाहर झाँकेंगे
यह देखने के लिए कि बारिश हो रही है या नहीं,
और नई से नई ख़बरें सुनने के लिए बेचैन रहेंगे ।
मान लो कि हम मोर्चे पर हैं,
किसी ऐसी चीज़ के लिए, जिसके लिए लड़ना ज़रूरी है
और वहाँ, पहले ही हमले में हम, मुँह के बल ज़मीन पर
गिर सकते हैं और मर सकते हैं ।
'''अँग्रेज़ी से अनुवाद : अनिल जनविजय'''