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<poem>
ऊ नामी आदमिन के साजिशन बदनाम कइलन स
एही तिकड़म से सारे खूब नू चर्चा में अइलन स

केहू पूछल ना ओकनी के त एगो काम कइलन स
खुदे संस्था बनवलन स आ खुदही मेठ भइलन स

दिया हम नेह के लेके सफर में बढ़ रहल बानी
ऊ नफरत के भयंकर आग में जर-जर बुतइलन स

बेचारा का करs सन, बम में दम त बा ना सिरिजन के
केहू के खींच के टङरी ऊ आपन कद बढ़इलन स

बना देलन स सच के झूठ ऊ अपना थेथरपन से
मगर सच सच रहेला ई ना लबरा बूझ पइलन स

जहाँ तक हो सके, दूरे रहीं कींचड़ आ लीचड़ से
परल एहनी के पाले जे, ई ओकर नाश कइलन स

कबो पनरोह से पूछीं जे जमकल पाँक के पिलुआ
दहइलन सन ना पानी से त बाँसो से कोंचइलन स

कहाँ पानी गटर के रोक पवलस गाछ के बढ़ती?
निगेटिव जीव कतने राह में अइलन स, गइलन स

जोगाड़ू फूल माला मंच बैनर जय हो जय हो से
बिना कुछ करनी धरनी के फलाने जी कहइलन स

भला असमान पर थुकला से ओकर का होई 'भावुक'
मगर बकलोल जिनगी भर बस ईहे काम कइलन स
</poem>
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