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जीत कैसी होगी / राजेश अरोड़ा

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<poem>
वो जिन्होंने चाहा था युद्ध
वो जो नहीं चाहते थे युद्ध
बँट रही थी दुनिया
इन दो के बीच

दृश्य अपनी भयानकता के साथ
किसी चलचित्र की तरह नहीं
पृथ्वी के वक्ष पर चल रहा था

झुलस रही मानवता के बीच
कराहें थी स्त्री, पुरुष और बच्चों की
जिनपर अनचाहे ही थोपा गया था
ये सब।

जिन्हें मार गया था उत्सव मनाते हुए
और उन्हे भी जो जीना चाहते थे
प्यार करते हुए

दुनिया के बड़े बड़े नेता
अपने अपने पक्ष में गड़ रहे थे तर्क
झुलस गयी थी फसलें
फूलों ने इंकार कर दिया था खिलने से
गिरती मिसाइलों और चीखो के बीच
बच्चा अचंभित था
बड़ों का ये कोन-सा खेल है

और इस में जीत कैसी होगी।
</poem>
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