भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अरुणिमा अरुण कमल |अनुवादक= |संग्र...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=अरुणिमा अरुण कमल
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
महिलाओं की लाइफ
थोड़ी नहीं, पूरी की पूरी
फुल कॉमप्रोमाइज!
अपनों में भी पराया धन ही रही
बचपन में ही वह सयानी हुई,
एडजस्टमेंट में आगे कोई दिक्कत न हो
मिलती और लेती रही हरेक एडवाइस;
लेकिन फिर भी महिलाओं की लाइफ,
थोड़ी नहीं, पूरी की पूरी,
फुल कॉमप्रोमाइज!
कोई फुल एँड फाइनल नहीं
आजीवन वह किस्तें बस चलती रहीं,
बिना किसी इंश्योरेंश या गारंटी के
दी जाती है दामाद को पूरी प्राइस;
लेकिन फिर भी महिलाओं की लाइफ
थोड़ी नहीं, पूरी की पूरी,
फुल कॉमप्रोमाइज!
किसी पराया को अपना बना,
नये घर का अपने एक सपना सजा,
हर हॉबी को छोड़ी, पसंद अपनी बदली,
बच्चों के लिए की हर सेक्रीफाइस;
लेकिन फिर भी महिलाओं की लाइफ
थोड़ी नहीं, पूरी की पूरी
फुल कॉमप्रोमाइज!
हर ख़ुशी दी उन्हें, हर आरजू पूरी की
पर अपनी ख़ुशी उनकी मर्जी रही
नाराजगी का मौका मिले न कभी
न लड़ने की बने कभी गुंजाइश
लेकिन फिर भी महिलाओं की लाइफ,
थोड़ी नहीं, पूरी की पूरी,
फुल कॉमप्रोमाइज
</poem>
{{KKRachna
|रचनाकार=अरुणिमा अरुण कमल
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
महिलाओं की लाइफ
थोड़ी नहीं, पूरी की पूरी
फुल कॉमप्रोमाइज!
अपनों में भी पराया धन ही रही
बचपन में ही वह सयानी हुई,
एडजस्टमेंट में आगे कोई दिक्कत न हो
मिलती और लेती रही हरेक एडवाइस;
लेकिन फिर भी महिलाओं की लाइफ,
थोड़ी नहीं, पूरी की पूरी,
फुल कॉमप्रोमाइज!
कोई फुल एँड फाइनल नहीं
आजीवन वह किस्तें बस चलती रहीं,
बिना किसी इंश्योरेंश या गारंटी के
दी जाती है दामाद को पूरी प्राइस;
लेकिन फिर भी महिलाओं की लाइफ
थोड़ी नहीं, पूरी की पूरी,
फुल कॉमप्रोमाइज!
किसी पराया को अपना बना,
नये घर का अपने एक सपना सजा,
हर हॉबी को छोड़ी, पसंद अपनी बदली,
बच्चों के लिए की हर सेक्रीफाइस;
लेकिन फिर भी महिलाओं की लाइफ
थोड़ी नहीं, पूरी की पूरी
फुल कॉमप्रोमाइज!
हर ख़ुशी दी उन्हें, हर आरजू पूरी की
पर अपनी ख़ुशी उनकी मर्जी रही
नाराजगी का मौका मिले न कभी
न लड़ने की बने कभी गुंजाइश
लेकिन फिर भी महिलाओं की लाइफ,
थोड़ी नहीं, पूरी की पूरी,
फुल कॉमप्रोमाइज
</poem>