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पूछें / राहुल शिवाय

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<poem>
हरियाली होती है क्या
जंगल से पूछें
कितना क्या बदला है
बीते कल से पूछें

आँखों से पूछें
हम सपने की बातें
और अमावस से पूछें
दुख की रातें

हम संघर्ष-पंक का
चलो कमल से पूछें

चलो धरा से पूछें
ज़रा जेठ का आतप
सागर से पूछें जाकर
हम नदियों का तप

कहाँ-कहाँ बरसेंगे
ये बादल से पूछें

पूछें हम आजादी
नुची हुई पाँखों से
आँगन से बाहर तकती
सूनी आँखों से

हम किसान की हालत
खेत-फ़सल से पूछें
</poem>
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