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Kavita Kosh से
जी कर रहा है
आज उसे कुरूप बना डालें| डालें।
जी कर रहा है
आज उसे कुरूप बना ही डालेँ।डालें।
आओ प्रिय कविजनोकविजनों!इस बार कविता को सुन्दरता सुंदरता की गुलामी से आजाद कराएं,कला के अनन्त बंधनोँ अनंत बंधनों से मुक्ति दिलायेदिलाएं,और देखे-देखें—
कविता का दीया बुझ जाने के बाद
किस हद तक अँधियारी अंधियारी दिखाई देगी यह दुनिया,
कितनी खोखली हो जाएगी रिक्तता?
फर्क ही क्या है
जी कर रहा है
आज उसे कुरूप बना डालेँ।डालें।
आओ प्रिय कविजनोँकविजनों!आज ही घोषणा कर दिया जाये दी जाएकविता की मृत्यु की। और देखें-देखें—कितनी जीवंत दिखाई देगी अपने ही लाश शव के ऊपर जन्मी कविता।
कविता की मृत्यु की खुशी में
किस जुनून तक पगलाएगा बन्दूकपागल होगा बंदूक,
कितनी दूर तक सुनाई देगा सत्ता का अट्टहास,
कितना फीका दिखाई देगा कला का चेहरा?
अकेली कब तक