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|रचनाकार=नामवर सिंह
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
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<poem>
ईख के हास
पयोद के खण्ड
अलाव के धूम
घुली अमराइयाँ
मीकते मेमने
टूटती पत्तियाँ
काँपती - सी नभ की गहराइयाँ
नीम की गन्ध घुली - घुली साँझ
नशीली व्यथा से भरी जमुहाइयाँ ।
सूनी - सफ़ेद डरी हुई नीरव
भीतियों ने निगली परछाइयाँ ।
</poem>
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ईख के हास
पयोद के खण्ड
अलाव के धूम
घुली अमराइयाँ
मीकते मेमने
टूटती पत्तियाँ
काँपती - सी नभ की गहराइयाँ
नीम की गन्ध घुली - घुली साँझ
नशीली व्यथा से भरी जमुहाइयाँ ।
सूनी - सफ़ेद डरी हुई नीरव
भीतियों ने निगली परछाइयाँ ।
</poem>