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रसगुल्लो / नीरज दइया

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|संग्रह=पाछो कुण आसी / नीरज दइया
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[[Category:मूल राजस्थानी भाषा]]
{{KKCatKavita‎}}<poem>जीसा कैया करता हा-
म्हनै रसगुल्लो।

अबै म्हैं कैवूं म्हारै छोरै नै-
रसगुल्लो !

रसगुल्लो कैवै-
म्हैं रसगुल्लो कोनी
आपणी भासा है- रसगुल्लै-सी !
</poem>
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