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अभी कुछ शेर सीना चीर कर उतरा नहीं करते
तिरे अबरू<ref>भवें</ref> को थोड़ा और भी ख़मदार<ref>टेड़ा</ref> करना है
इसी चक्कर में हमने सैकड़ों दीवान<ref>ग़ज़ल की पान्डो लिपि ग़ज़ल</ref> पढ़ डाले
सुना कर शेर उसको प्यार का इज़हार करना है
मुझे जाने दो मेरे और भी कुछ काम बाक़ी हैं
जिसे महफ़िल सजानी है उसे तैयार करना है </poem>
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