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Kavita Kosh से
अपना स्वर्ग हम पर लादने,
सभी घावों या पिस्तौल के साथ
भक्ति ख़रीदने या हमारा खून ख़ून जलाने,मनुष्य के खूंखार खूँखार देवता
अपनी कायरता छिपाने के लिए,
और वहाँ सब कुछ बिल्कुल वैसा ही था,
दिव्य माल असबाब के साथ समूची पृथ्वी
सराबोर थी जन्नत की खुशबू ख़ुशबू में ।
'''मूल स्पानी भाषा से अनुवाद : प्रभाती नौटियाल'''
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